एक रोज
धुंधली सुबह में
कहीं
किसी बात पर खफा होकर
हवा ने आकर
कान में कुछ तपती
आंच राखी
लगा की आज फिजा इतनी गर्म क्यूँ है
धुआं धुआं सा
अजब सा क्यूँ है
फिर कुछ रूककर
कुछ कहा
आज फिर हुआ है
विस्फोट
भरे बाजार में
कुछ खाक उडी है आज फिर
तिनका तिनका होकर
मै सहमा
घबराया
देखा तो क्षितिज के उस पार
अजब सन्नाटा था
फिर महसूस हुआ
उस खामोशी में भी
धमाकों और चीखों की गूंज बाकि थी
डर डर कर
मैंने झाँका
इधर उधर
नीचे ऊपर
फिर खोजकर पाया की
मेरे अन्दर भी
एक विस्फोट हुआ है
कुछ लाशें जल रही है
जिसका धुआं
लम्हा डर लम्हा
और स्याह हो रहा है
धमाके की चिंगारी
अब तक आँखों में जल रही है
फिर
खिड़की से झांक कर देखा
तो लगा की एक घर अभी भी भभक रहा है
लाशें अभी भी जल रही है
लोग कहते है
ये उसका घर है
जिसने धमाका किया था
Art Along the Green Valleys
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Aesthetic and creative senses mostly gets stimulated in avert conditions.
Assamese artists, along with their national counterparts, have been
creating art ...
15 years ago