ये मांगने वाले
सड़क पर
चिथडों में लिपटे
भिखारी कहते हैं हम उन्हें
और उनके वो अनाथ बच्चे
चिलचिलाती धूप में नंगे पांव
कडकडाती सर्दी में नंगे बदन
दिन भर
रात भर
चाँद जैसी
आधी कच्ची
आधी जली हुई
रोटी के
चाँद टुकडों के मोहताज होकर
अपने जैसे ही कुछ लोगों के आगे
फैलाते हैं हाथ
और मंगाते हैं चाँद दाने
कभी भगवान्
कभी नसीब के नाम पर
पल पल जीते हुए
पल पल मरते हुए
मगर उनकी आत्मा
जो अब तक मरी नही
वो नही मांगती
वो दाने
वो तुकडे
वो मांगती है मुक्ति
उन आंसुओं से
जो उसकी अभागी माँ ने
उसके पैदा होने पर
उसकी किस्मत
पर बहाए थे
वो मांगती है बदलाव
बदलाव
जो किसी सेठ की
तिजोरी में कैद है
Art Along the Green Valleys
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Aesthetic and creative senses mostly gets stimulated in avert conditions.
Assamese artists, along with their national counterparts, have been
creating art ...
15 years ago
jingi ka najadik se dekha najara........sathi parbhakar ko lale-lale-lal salam
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